विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला।
विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला। विवाह के बाद पहली बार मायके आयी बेटी का स्वागत सप्ताह भर चला। सप्ताह भर बेटी को जो पसन्द है, वो सब किया गया।वापस ससुराल जाते समय पिता ने बेटी को एक अति सुगंधित अगरबत्ती का पुडा दिया और कहा कि पुत्री तुम जब ससुराल में पूजा करोगी तब यह अगरबत्ती जरूर जलाना... माँ ने मन्द स्वर में कहा- बिटिया प्रथम बार मायके से ससुराल जा रही है, तो भला कोई अगरबत्ती जैसी चीज देता है? पिता ने झट से जेब मे हाथ डाला और जेब मे जितने भी रुपये थे, वो सब बेटी को दे दिए... ससुराल में पहुंचते ही सासु माँ ने बहु का बैग टटोला और पूछा कि तुम्हारे माँ बाप ने बिदाई में क्या दिया, कुछ विशेष न मिलने पर उनकी नजर अगरबत्ती का पुडे पर पड़ी । क्रोधवश सासु माँ ने मुंह बना कर बहु को बोला कि कल पूजा में यह अगरबत्ती लगा लेना... सुबह जब बेटी पूजा करने बैठी, अगरबत्ती का पुडा खोला तो उसमे से एक चिट्ठी निकली- लिखा था... बेटी यह अगरबत्ती स्वतः जलती है, मगर संपूर्ण घर को सुगंधित कर देती है। इतना ही नही, आजू-बाजू के पूरे वातावरण को भी अपनी महक से सुगंधित एवं प्रफुल्...